दैनिक भारत न्यूज

आजमगढ़। अड़गड़ानंद जी महाराज के परम् प्रिय शिष्य, गीता के मर्मज्ञ तुलसीदास जी महाराज ने कोटा खुर्द में अपने भक्त रमेश चंद्र सिंह व राणा प्रताप सिंह के आवास पर उपस्थित भक्तों को उपदेश देते हुए कहा कि बिना समर्पण के भगवान की प्राप्ति सम्भव नहीं है। जब तक मनुष्य अपना सब कुछ भगवान को समर्पित नहीं करता तब तक उसका उद्धार संभव नहीं है। विश्वामित्र को विदा करते समय राजा दशरथ ने अपना सम्पूर्ण अर्पण करते हुए कहा कि, नाथ सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी। अहंकार को त्यागे बिना परमात्मा की प्राप्ति सम्भव नहीं है। अहंकार अर्थात हमारा आकार। परमात्मा ही हमारा आकार या प्रतिमूर्ति है। जब तक परमात्मा से आत्मा का मिलन नहीं हो जाता तब तक मन में अहंकार रहता है। गुरु साक्षात परमात्मा स्वरुप होता है। इसलिए हम लोग सदैव सद्गुरु भगवान की जय बोलते हैं। आपने केवट प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि जब मां गंगा को पार करने का समय आया तो केवट बिना पैर धोए पार ले जाने को तैयार नहीं होता। और कहता है कि “कहहिं तोहार मरम मैं जानी” आपको अच्छी तरह जानता हूं। केवट के अटपटे वचन सुनकर मां सीता व लक्ष्मण को अच्छा नहीं लगा, लेकिन भगवान राम मुस्कुराते हुए जानकी तथा लखन की तरफ देखा। विहंसे करुणा ऐन, निरखि जानकी लखन तन।उन्होंने सीता और लक्ष्मण को यह संदेश दिया कि केवट सामान्य पुरुष नहीं है। वह परमात्मा के स्वरूप को जानता है। इसलिए वह ऐसा कह रहा है। और इस तरह भगवान का पैर पखारकर वह पूर्वजों और परिवार सहित भवसागर पार कर गया। तदुपरांत तुलसी महाराज जी एसबी इंटर कॉलेज लहुवां कला आजमगढ़ गए और उन्होंने छात्रों को आशीर्वाद दिया। फरवरी में अड़गड़ानंद जी महाराज का कार्यक्रम एसबी इण्टर कालेज लहुवां कला पर होने वाला है। उसके लिए उन्होंने कार्यक्रम स्थल, हेलीपैड, भंडारे की जगह और पार्किंग स्थल को देखा। इस अवसर पर अड़गड़ानंद महाराज जी के शिष्य रमेश चंद्र सिंह, राणा प्रताप सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य ओम प्रकाश सिंह तिलखरा, अजय कुमार सिंह, सुधीर सिंह, गोपाल शरण सिंह, भोला, राहुल, यथार्थ, ज्ञानमती,रेखा, गायत्री सिंह, ज्योत्स्ना सिंह, सुमन, चित्रा, सार्थक, संजयसिंह, प्रेमनाथ सिंह, उर्मिला सिंह, नरेन्द्र सिंह, कालिका सिंह, सुबास, प्यारेलाल आदि लोग मौजूद रहे।

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