वैज्ञानिकों के तीसरे प्रयास में मिली यह सफलता

प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत अन्य ने दी बधाई

दिल्ली।
भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बुधवार को इतिहास रच दिया है। चांद पर भेजा गया भारत का तीसरा मिशन कामयाब हो गया है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दी है। इसी के साथ ही देश ने इतिहास रच दिया।
लोगों में यह जानने की उत्सुकता हो रही है कि आखिर भारत ने यह उपलब्धि कैसे हासिल की।

पांच वजहों से कामयाब रहा यह मिशनः
वर्ष 2019 के चंद्रयान-2 मिशन से वैज्ञानिकों ने सबक लिया। चंद्रयान-3 से पहले 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करने वाला किसी भी देश का पहला अंतरिक्ष मिशन था। हालांकि, चंद्रयान-2 मिशन का विक्रम चंद्र लैंडर छह सितंबर 2019 को चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 

इसरो के वैज्ञानिकों ने मिशन से भी काफी कुछ सीखाः
इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ कहते हैं कि 2019 का मिशन चंद्रयान-2 आंशिक सफल था, लेकिन इससे मिले अनुभव इसरो के चंद्रमा पर लैंडर उतारने के लिए नए प्रयास में काफी उपयोगी साबित हुए। इसके तहत चंद्रयान-3 में कई बदलाव किए गए।
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया। वैज्ञानिकों के इस सफल अभियान के बाद देश में खुशी का माहौल उत्पन्न हो गया। हर तरफ आतिशबाजी और पटाखों की गुंज सुनाई देने लगा। देश में जश्न का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आदि ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।

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