दैनिक भारत न्यूज
आजमगढ़।
एटीएस आजमगढ़/वाराणसी की टीम द्वारा मंगलवार को रानी की सराय थाना क्षेत्र के कोटिला गांव में छापेमारी करके अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले को गिरफ्तार कर लिया गया। वह मुंबई में बैठे अपने आका के इशारे पर इस प्रकार का कृत्य कर रहा था। बदले में उसे अच्छीखासी रकम मिल रही थी।
पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना के मुताबिक गिरफ्तार आरोपी हस्सान अहमद पुत्र अबुल कैश है। वह रानी की सराय थाना क्षेत्र के कोटिला गांव का निवासी है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि
रानी की सराय थाना क्षेत्र के कोटिला गॉव के पास सिम बाक्स चलाये जाने की सूचना प्राप्त हुयी थी। सिम बाक्स एक अवैध टेलीफोन एक्सचेन्ज की तरह संचालित किया जाता है, जिसके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वीओआईपी (VOIP) कॉल को लोकल वाइस कॉल (Voice Call) में परिवर्तित कर सरकार को राजस्व की हानि पहुँचायी जा रही है। जिससे भारत सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व की हानि हो रही है। वीओआईपी (VOIP) कॉल करने वाले व्यक्ति की पहचान छुपी रहती है तथा कॉल करने वाले व्यक्ति को ट्रेस करना कठिन हो जाता है। इस तरह की सूचना के बाद पुलिस कोटिला गांव निवासी हस्सान अहमद के घर छापा मारकर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके घर से अवैध टेलीफोन एक्सचेन्ज, चार सिम बॉक्स मय सहवार्ती उपकरण, 4 सिम बाक्स, 3 मॉडम मय चार्जर, 4 इथर नेट केबल, 2 लैपटाप मय चार्जर, 4 कीपैड मोबाइल फोन, 2 एड्रायड मोबाइल फोन, 269 मोबाइल सिम कार्ड आदि शामिल है।
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अपराध का तरीकाः
एसपी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी हस्सान अहमद पुत्र अबुल कैश द्वारा बताया गया कि मैं वर्ष 2017 में बम्बई में रहने के दौरान शहजाद नाम के एक व्यक्ति से मिला। उसके कहने पर वर्ष-2023 के सितम्बर महीने में उसके द्वारा डीटीडीसी कोरियर से भेजे गये सिम बॉक्स व सिम को उसके द्वारा IMO पर बताने के अनुसार मैंने सिम बॉक्स चलाना शुरू किया। वह मुझे अलग- अलग समय पर सिम बॉक्स व सिम भेजता गया और मैं उसके बताने के अनुसार मै चार सिम बॉक्स चला रहा था। जिसका मुझे समय समय पर उसके द्वारा अलग-अलग खातों से पैसा यूपीआई के माध्यम से भेजा जाता था तथा सिम बॉक्स संचालित करने के लिए शहजाद द्वारा मुझे सिम बॉक्स की आई. पी. भेजी जाती थी। उसने मुझे एक आई. डी. व पासवर्ड दिया था। सिम बॉक्स के माध्यम से फोन करने वाले व्यक्ति के बारे में किसी भी तरीके से पता नहीं किया जा सकता है कि काल किसने किया है। इस बात की जानकारी हमें थी और हम यह जानते थे की इसी बात के लिए हमें एक्सट्रा पैसे मिलते हैं।