साथी अधिवक्ता की निर्मम हत्या से काफी दुखी थे तहसील के वकील
जिले के साथ साथ तहसील में भी वकालत करते थे राजनरायन
रिपोर्टः आशीष तिवारी
आजमगढ़।
शुक्रवार को जैसे ही अधिवक्ता राजनरायन सिंह हत्याकांड में आरोपी पूर्व मंत्री अंगद यादव बेटे को सजा सुनाई गयी। वैसे ही मुकदमे के पैरोकार अलावा लालगंज तहसील के अधिवक्ताओं में भी खुशी छाई गयी। साथी अधिवक्ता की हत्या के बाद से उनके साथ बैठकर काम करने वालों सहित अन्य लोग दुखी थे।
राजनरायन सिंह कांग्रेस पार्टी से लालगंज विधान सभा का चुनाव लड़ चुके थे। इस फैसले के बाद लालगंज के वरिष्ठ काग्रेसी पार्टी के नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष राय समेत अन्य ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है।
अदालत के बाहर भी लगी थी भीड़ः
मुकदमे के पैरोकार एड. दीवाकर सिंह ने बताया कि अधिवक्ता राजनारायन सिंह की हत्या के मुकदमे में पूर्व मंत्री अंगद यादव के बेटे आलोक यादव को एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को आजीवन कारावास तथा बीस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। इससे पूर्व इसी हत्याकांड में अंगद यादव समेत चार आरोपियों को बीते 28 अप्रैल को कोर्ट सजा सुना चुकी है। सिधारी थाना क्षेत्र के रेलवे स्टेशन के समीप ओवर ब्रिज के नीचे 19 दिसंबर 2015 की सुबह लगभग छह बजे कमिश्नरी में प्रैक्टिस करने वाले कोमल कालोनी निवासी अधिवक्ता राज नारायन सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में मृतक राजनरायन सिंह की पत्नी सुधा सिंह ने पूर्व मंत्री अंगद यादव तथा कुछ अन्य के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना के दौरान यह तथ्य प्रकाश में आया कि अंगद यादव की पुत्री का विवाह राज नारायन सिंह ने अपने परिचित के घर में कराया था। इस विवाह में विवाद होने के बाद अंगद यादव, राज नारायन सिंह से नाराजगी रखने लगे। इसी दुश्मनी के कारण 19 दिसंबर 2015 को राज नारायन सिंह की हत्या कर दी गई। इस मामले में पुलिस ने पहले अंगद यादव,शैलेश यादव , सुनील सिंह तथा अरुण यादव के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत किया। बाद में अंगद यादव के पुत्र आलोक यादव के विरुद्ध भी चार्जशीट कोर्ट में भेजी गई।अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता दीपक मिश्रा ने कुल 14 गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज ओम प्रकाश वर्मा ने आरोपी आलोक यादव को आजीवन कारावास तथा बीस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।